रसूखदारों का असर – नक्शा पास नहीं , बन रही इमारत, नगर निगम की शांत

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    होशियारपुर (जनगाथा टाइम्स ) पिछले साल 2018 में जनवरी माह में शिमला पहाड़ी के समीप सार्वजनिक शौचालयों के साथ नाले पर निर्माण कार्य करवाने को लेकर सामने आए मामले ने नया मोड़ ले लिया है। एक साल बाद वहां पर इमारत खड़ी दिखाई देने लगी है, जबकि निगम से प्राप्त जानकारी अनुसार इस संबंधी कोई नक्शा पास नहीं हुआ तथा जमीन मालिक द्वारा जो नक्शा पास करवाने के लिए निगम के पास जमा करवाया गया है वह डोमैस्टिक है, जबकि मौके पर इमारत पूरी तरह से कमर्शियल दिखाई दे रही है तथा काफी हद तक इमारत का काम मुकम्मल भी हो चुका है। अब सवाल यह है कि गत दिवस मोहल्ला जगत पुरा में किसी व्यक्ति द्वारा बनाई जा रही इमारत पर निगम द्वारा इसलिए बुलडोजर चला दिया गया था कि उसने नक्शा डोमैस्टिक पास करवाया था और निर्माण उसने कमर्शियल कर लिया था। जिसका कड़ा संज्ञान लेते हुए निगम ने उस पर बुलडोजर चला दिया था, जबकि यह कार्रवाई शायद निगम इतिहास में पहला कदम था। निगम द्वारा उठाए गए इस कदम के बाद आम जनता को आस बंधी थी कि शहर में सुधार लाने के लिए निगम भविष्य में भी ऐसे कदम उठाएगा। मगर शहर के बीचो-बीच और शिमला पहाड़ी जैसे पॉश कहे जाने वाले इलाके में दिनों में ही एक इमारत जिसका नक्शा भी पास नहीं हुआ और वह बनकर तैयार हो जाती है को देखकर कहा जा सकता है कि एक कार्रवाई के बाद नगर निगम गहरी नींद में है। दूसरी तरफ जमीन के मालिक का कहना था कि उसके पास जमीन की रजिस्ट्री है तथा वह अपनी जमीन पर निर्माण करना चाहता है। जिसकी जमीन है वह निर्माण कर सकता है, परन्तु सवाल यह है कि जब नक्शा पास ही नहीं हुआ तो निर्माण कार्य कोई कैसे करवा सकता है तथा दूसरा सवाल यह है कि अगर निगम के पास डोमैस्टिक नक्शा पास किए जाने संबंधी दस्तावेज जमा हैं तो वहां पर कमर्शिय इमारत कैसे बन सकती है, बात समझ से परे हो जाती है।
    निगम से प्राप्त जानकारी अनुसार नाले की जमीन की किसी व्यक्ति द्वारा रजिस्ट्री करवाई गई थी और उसने निगम से इस पर निर्माण की आज्ञा मांगी थी, मगर नाला होने के चलते निगम द्वारा आज्ञा प्रदान नहीं की गई थी। तिडक़म भिड़ाते हुए उसके द्वारा गत वर्ष दिसंबर माह में उक्त स्थान पर डोमैस्टिक निर्माण करने हेतु कागजात जमा करवाए थे। परन्तु निगम द्वारा अभी तक उसका नक्शा पास नहीं किया गया है, क्योंकि नाले पर किसी भी सूरत में निर्माण कार्य नहीं हो सकता, क्योंकि नाला बंद होने की सूरत में बरसात के दिनों में पानी शहर की बर्बादी का कारण बन सकता है। परन्तु पहुंच और पैसे के दम पर देखते ही देखते दिनों में ही वहां पर इमारत खड़ी कर दी गई और अब भी उसका कार्य तेजी के साथ चल रहा है। अब सवाल यह है कि एक तरफ तो निगम ने नक्शे के विपरीत निर्माण करने वाले पर बुलडोजर चलवा दिया और दूसरी तरफ नगर निगम कार्यालय से मात्र एक किलोमीटर की दूरी पर व शहर के प्रमुख शिमला पहाड़ी चौक के समीप चल रहे इस निर्माण पर आंखें क्यों बंद कर रखी हैं। सूत्रों की माने तो निगम द्वारा उक्त व्यक्ति को निर्माण के लिए रोका गया था, मगर उसने काम बंद नहीं किया। हालांकि पिछले साल जब उक्त व्यक्ति द्वारा नाले पर भर्ती डलवाने का काम प्रारंभ करवाया गया था तो लोगों ने इसका कड़ा विरोध जताया था और मौके पर पहुंचे पार्षद विक्रम मेहता द्वारा काम का विरोध करते हुए लोगों को कार्रवाई का आश्वासन देते हुए सारा मामला मेयर शिव सूद एवं निगम अधिकारियों के ध्यानार्थ लाया गया था।
    इस बारे में जब नगर निगम के सहायक कमिशनर संदीप तिवाड़ी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह मामला उनके भी ध्यान में आया है तथा उक्त स्थान पर निर्माण संबंधी नक्शा पास नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि जमीन मालिक द्वारा उक्त स्थान पर डोमैस्टिक इमारत बनाने संबंधी फाइल जमा करवाई गई है। उन्होंने कहा कि सारा मामला कमिशनर साहिब के ध्यान में लाया जाएगा और उनके निर्देशों पर बनती कार्यवाही को अमल में लाया जाएगा।
    जब इस संबंध में वार्ड पार्षद विक्रम मेहता से संपर्क किया गया तो उनका फोन कवरेज क्षेत्र से बाहर आ रहा था।
    इस संबंधी जब नगर निगम के कमिशनर एच.एस. सुडान (आई.ए.एस.) से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले ही यह मामला उनके ध्यान में आया है तथा उन्होंने काम रुकवाने के निर्देश जारी करते हुए निर्माण करवाने वाले को नोटिस जारी करने को कहा है। 24 घंटे के भीतर अगर वह फिर भी निर्माण कार्य जारी रखता है तो उसके खिलाफ अगली कानूनी कार्यवाही को अमल में लाया जाएगा।
    अब मामले में देखना यह होगा कि निगम द्वारा इसका नक्शा डोमैस्टिक या डोमैस्टिक से कमर्शियल पास कर दिया जाता है या फिर भेदभाव रहित कार्यवाही को अमल में लाते हुए जगतपुरा जैसी कार्यवाही को अमल में लाकर शहर निवासियों को निगम की सख्ती का परिचय दिया जाएगा। खैर यह तो वक्त ही बताएगा, मगर फिलहार निगम द्वारा अपनाई जाने वाली दोहरी कार्यप्रणाली को लेकर चर्चाओं का बाजार पूरी तरह से गर्म है।
    पहले ही नाले पर कब्जे और नाला बंद होने से शहर हैं निवासी परेशान
    शिमला पहाड़ी से गुजरते इस नाले पर पहले ही कब्जों की मार एवं मिट्टी आदि भरने से नाला बंद हो चुका है तथा जो थोड़ बहुत चालू है उस पर भी कई लोग कब्जा करने संबंधी नजर गढ़ाए हुए हैं। इसके बंद होने के कारण बरसात के दिनों में पानी लोगों के घरों एवं दुकानों में घुस जाता है। जरा सी बरसात में हालात किसी झील व नहर जैसे बन जाते हैं तथा बरसाती पानी की निकासी की दृष्टि से यह नाला बहुत ही महत्वपूर्ण है। लंबे समय से नाले को पुन: खोलने एवं सफाई करने की मांग की जाती रही है, परन्तु दुख की बात है कि न तो निगम ने इस पर किए गए कब्जे हटाने जरुरी समझे और न ही पानी निकासी का कोई और प्रबंध किया। इस मार्ग पर तीन स्कूल, एक कालेज, 2 बैंक, कई दुकानें एवं लोगों के घर हैं तथा बरसात होने पर उनके सांसे थम सी जाती हैं तथा पानी की मार का डर उन्हें बना रहता है।

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