गांव की पार्लियामेंट पंजाब को खुशहाल बनाने में सामर्थ: गांव बचाओ-पंजाब बचाओ

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    होशियारपुर (रमनदीप )। गांव बचाओ-पंजाब बचाओ प्रदेश स्तरीय संस्था की तरफ से पंचायती चुनावों दौरान आदर्श ढंग से सर्वसम्मति के साथ बनाई गई पंचायतों का सम्मान तता चेतना समारोह होशियारपुर में किया गया। प्रिं. इंदर सिंह छानी जिला कनवीनर ने स्वागत करते हुए कहा कि सवाल यह है कि आम नागरिक के भीतर यह सवाल क्यों नहीं उठ रहा कि पंजाब कंगाल होने की कगार पर खड़ा है। संवैधानिक संस्थाएं राजनीतिक घेराबंदी में अपाहिज हो रही हैं।
    सरदार करनैल सिंह जखेपल प्रधान आई.डी.पी. ने कहा कि आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी गांव में गंदे पानी की निकासी, गलियां, नालियां तथा अन्य मौलिक मांगों या निजी सहायता से आगे नहीं बढ़े। गांव सभ्यता का झूला था जोकि आज टुकड़ों का शिकार हो चुका है।
    प्रो. जगोहन सिंह महासचिव जमहूरी अधिकार सभा पंजाब ने कहा कि पंजाब कुदरती स्रोतों तथा कृषि आर्थिकता वाला प्रदेश है, पर अब तेजी के साथ कई आपदाओं की तरफ बढ़ रहा है। इस लिए उन नीतियों पर अमल करने के लिए संघर्ष करना होगा जिससे वातावरण सुरक्षा, कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, समाज भलाई, खुराक, पानी तथा उद्योगिक विकास क्षेत्रों को बराबर रखकर विचार किया जा सके।
    सरदार हमीर सिंह पत्रकार ने कहा कि पंचायती राज कानून को लागू करवाना समय की मुख्य मांग है। हर मजदूर को तथा पांच एकड़ जमीन वाले परिवार को सौ दिन का रोजगार, करीब पैंतीस हजार रुपये का वार्षिक मेहनताना मिल सकता है, जिस की व्यवस्था भी है। संविधान की 73वीं संशोधन ने गांव की एक बड़ी संस्था ग्राम सभा को मान्यता दी हुई है। पंचायत इसकी कर्याकारी संस्था है। सभी योजनाओं जैसे पैंशन, पांच मरले का प्लाट, आटा-दाल, प्रधानमंत्री आवास योजना, मगनरेगा आदि के लाभपात्रियों की शिनाख्त ग्राम सभा ने करनी होती है। ग्राम सभा ने ही मगनरेगा का बजट पास करना होता है। पंचायत से पूरे पासे का हिसाब किताब लेना होता है तथा गांव के विकास कार्यों का खाका तैयार करना होता है। अगर पंच सरपंच ग्राम सभा से तात लें तथा हर फैसला ग्राम सभा के माध्यम से करें तो कोई भी अधिकारी या राजनीतिक नेता इन पर भारी नहीं पड़ सकता।
    डा. प्यारे लाल गर्ग पूर्व रजिस्ट्रार बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हैल्थ साइंस ने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि एलर्जी, रोग प्रतिरोधक समर्था के रोग, आंतड़ी, सांस प्रणाली, मानसिक रोगों, थायरायड विकास तथा कैंसर आदि हमारी सेहत को बर्बाद कर रहे हैं। हमारी प्रजनन सामर्था बुरी से बिगड़ रही है। बेऔलाद जोड़ों में बढ़ोतरी हो रही है। पशुओं में भी प्रजनन तथा हारमोन समस्या आ चुकी है। जिसके लिए जमीनी स्तर पर काम करके संतुलन बनाना होगा तथा सरकारों को जवाबदेह करने के लिए उठना पड़ेगा।
    ज्ञानी केवल सिंह पूर्व जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहिब ने गांवों में भाईचाक सांझ बहाल करने की जरुरत पर बल दिया। इसके लिए राजनीतिक पार्टियों के सामने स्पष्ट पक्ष रखना होगा कि गांव गुटबाजी का हिस्सा नहीं बनेंगे। सरपंच-पंच किसी पार्टी के नहीं हो सकते., वह तो सिर्फ गांव के ही हो सकते हैं। आदर्श तथा नैतिकता आधारित सर्वसम्मति चुनाव भाईचारे को मजबूत कर सकती है। अगर सर्वसम्मति न हो तो नशों, राजनीतिकक धौंस, नोट के बदले वोट जैसे तरीकों को छोडऩा बहुत जरुरी है। चुनाव की आड़ में नशा माफिया को पंजाब की जवानी को तबाह करने का अधिकार देना, गांवों की आत्म हत्या ही है।
    सरदार जसविंदर सिंह छावनी कलां ने अपनी पंचायत के आदर्शात्मक कार्य करने के तरीकों व अनुभवों को सांझा किया। बीबी इंदरजीत कौर नंदन राष्ट्रपति अवार्डी ने कहा कि पंचायतों में 50 फीसदी महिलाओं की भागीदारी तथा उन्हें आजाद तरीके से कार्य करने का मौका मिलना चाहिए। सरदार बलजीत सिंह बल्ली ने संवैधानिक संस्थाओं की मान-मर्यादा को कायम रखने के लिए आगे आना समय की मांग बताते हुए कहा कि अगर अभी न जागे तो अराजकतावादी के बंटवारे की दीवार पड़ेगी और पंजाब पतन की भेंट चढ़ जाएगा।
    सरदार बलवंत सिंह खेड़ा उपाध्यक्ष सोशमिलस्ट पार्टी ने धन्यवादी शब्द सांझा करते हुए कहा कि 73वीं संशोधन के अनुसार बने पंजाब पंचायती राज कानून के अनुसार पंचायती राज संस्थाओं को 29 विभाग बदले जाने चाहिए थे। जागरुकता की कमी के कारण पंचायतें भी इस मुद्दे पर कोई बड़े स्तर पर लामबंदी नहीं कर सकीं। जो प्रतिनिधि अपने हकों के लिए ही नहीं लड़ सके तो वे लोगों का क्या भला कर सकेंगे। उन्होंने ऐसे चेतना समागमों का हिस्सा बनने वालों को भविष्य के नए मार्गदर्शकों की संज्ञा दी।
    इस अवसर पर सर्वसम्मति के साथ चुने गए पंचों, सरपंचों तथा पंचायतों को सम्मानित किया गया। समारोह में जिले भर से अलग-अलग संस्थाओं के प्रतिनिधि, समाज सेवी मौजूद थे। मंच का संचालन रछपाल सिंह शुभ करमन सोसायटी होशियारपुर ने किया।

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