कपूरथला-स्थाई विकास की प्राप्ती के लिए पर्यावरण की संभाल ज़रुरी-डा. राबत

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    -फिल्म मेले के दूसरे दिन पर्यावरण की संभाल संबंधी दो फिल्मों का प्रर्दशन

    कपूरथला। पुष्पा गुज़राल साइंस सिटी द्वारा पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड व पर्यावरण संचार केंद्र से मिलकर विश्व पर्यावरण सप्ताह मनाया जा रहा है। इस सप्ताह दौरान 3 से 5 जून तक आनलाईन पर्यावरण फिल्म मेले का आयोजन करवाया जा रहा है।
    इस पर्यावरण फिल्म मेले के दूसरे दिन उतराखंड के पूर्व पीसीसीएफ व एचओएफएफ तथा आईएफएस डाक्टर आरबीएस राबत मुख्य मेहमान के तौर पर शामिल हुए। इस मौके डा. राबत ने चिंता प्रकट करते हुए कहा कि जंगलों की कटाई, मिट्टी का खुराना, दिन-प्रतिदिन कम होती जैविक-विभिन्नता, उद्योगीकरण तथा समाजिक आर्थिक रुकावट, जलवायु परिवर्तन के मुख्य कारण है। इसी कारण ही धरती के कुछ हिस्से मार्थुल में तबदील हो रहे है तथा कुछ क्षेत्रों में ग्लेश्यिर पिगलने से हड़ की स्थिति बन जाती है। उन्होंने सरकार को सलाह देते हुए कहा कि स्थिरता की प्राप्ती के लिए रिहायशी इलाकों की सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन की बहाली तथा पहाड़ों में बादल फटने आदि की घटनाओं से हो रहे नुक्सान बारे विशेष तौर पर ध्यान दिया जाए।

    इस आनलाईन प्रोगराम के तहत पर्यावरण की सांभ-संभाल पर आधारित दो फिल्मों का प्रर्दशन किया गया। पहले दिखाई गई फिल्म ऐडमिक स्पीसिज़ कंज़रवेशन भारत के पच्छमी घाट के माईसटिकों स्वैप के जैविक-विभिन्नता को संभालने के रिवायती तौर-तरीकों पर आधारित है तथा दूसरी फिल्म फ्लाईट टू फ्रीडम-दी अमूर फ्लैकन स्टोरी नागालैंड के स्थानीय लोगों में प्रवासी प्रजातियों को संभालने का रवैया में आई तबदीली को दर्शाया गया है। इस फिल्म में मंगोलिया से अफ्रीका तक प्रजातियों के हो रहे प्रवास का प्रर्दशन किया गया है। इन फिल्मों के अंत में फिल्में बनाने वाले राम अलूरी तथा बान हरालू से चर्चा की गई।
    इस मौके पर साइंस सिटी की डायरैक्टर जनरल डा. नीलिमा जैरथ ने अपने संबोधन में कहा कि कुदरती स्त्रोतों को कभी भी निशुल्क नहीं समझा जाना, बल्कि यह किसी भी देश की ऐसी पूंजी होते है, जिनकी कीमत निश्चित नहीं की जा सकती।

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