होशियारपुर (ज्योतसना विज ) होशियारपुर में मुकेरियां व फगवाड़ा में उपचुनावों का बिगुल बज चुका है। कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशी पूरे जोर शोर से चुनावी कैंपेन कर रहे हैं। भाजपा की यह कोशिश रहेगी कि वह फगवाड़ा वाली अपनी सीट बचा ले और इसके साथ साथ लगते हाथ मुकेरियां सीट पर भी अपना हाथ साफ कर दें पर आप को बताएं देते हैं कि यह इतना आसान नहीं है क्योंकि यह चुनाव लोकसभा के नहीं बल्कि विधानसभा के हैं और विधानसभा चुनाव में पलड़ा हमेशा रुलिंग पार्टी का भारी होता है और वह पार्टी कांग्रेस हैं। भाजपा के दो दिगगजों पंजाब प्रधान श्वेत मलिक व पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद के कंधों पर इस चुनावी कैंपेन का भार है। होशियारपुर भाजपा में अंर्तकलह है यह बात किसी से छिपी नहीं है श्वेत मलिक व पूर्व सांसद विजय सांपला के बीच जो तनातनी है वह भी जगजाहिर है। यह भी सच है कि लोकसभा के बाद भी यह लड़ाई थमी नहीं है। विजय सांपला अपने बेटे साहिल सांपला के लिए फगवाड़ा से टिकट चाहते थे परंतु श्वेत मलिक एंड कपनी ने राजेश बाघा नाम का एक ऐसा पांसा फेंका कि विजय सांपला चारों खाने चित और टिकट संघ के चहेते राजेश बाघा की झोली में आ पड़ी। वैसे देखा जाए तो अगर सीट साहिल सांपला को मिल जाती तो पार्टी के लिए अच्छा होता क्योंकि विजय सांपला ने अपने एम.पी. कार्यकाल के दौरान फगवाड़ा में अपना अच्छा जनाधार बना लिया था और पाक साफ छवि के नेता विजय सांपला जैसी शख्सितय का पार्टी का फायदा होता। अब बात करेंगे मुकेरियां की जंगी लाल महाजन को टिकट देकर पार्टी हाईकमान ने तो पहले ही वहां पार्टी के बीचोबीच जंग का आगाज कर डाला। पूर्व मंत्री शाकर ने चाहे आजाद तौर पर लडऩे का विचार त्याग दिया हो पर अब भी खुलकर जंगी लाल महाजन के साथ नहीं चल रहे हैं। गुप्त सूत्रों की माने तो अरुणेश शाकर विजय सांपला के खासमखास है और जंगी लाल तीक्ष्ण ग्रुप के शायद सांपला ग्रुप के होने के कारण उनकी टिकट कटी है। लोग तो दबी जुबान में यह भी कह रहे हैं कि दूसरा ग्रुप विजय सांपला को पंजाब की राजनीति से आऊट करना चाहता है और इसी के चलते उनके समर्थकों को धीरे धीरे साइड लाइन किया जा रहा है।
श्वेत मलिक और पूर्व कैबिनेट मंत्री तीक्ष्ण सूद के लिए यह उपचुनाव अगिन परीक्षा जैसा है संगठन के चुनाव चल रहे हैं खुदा न खास्ता अगर यह उपचुनाव भाजपा हारती है तो इसका सीधा सीधा प्रभाव तीक्ष्ण सूद और श्वेत मलिक पर पड़ेगा क्योंकि तीक्ष्ण सूद फगवाड़ा के प्रभारी हैं श्वेत मलिक ने लोकसभा चुनाव के दौरान अकाली-भाजपा गठबंधन के बारे में ब्यान देकर कि पार्टी आधी टिकटों पर चुनाव लड़ेगी को लेकर अकाली अंदरखाते काफी नाराज है। चाहे देश भर में मोदी लहर है पर पंजाब में अकालियों के बिना भाजपाइयों से राजनीति नहीं होगी। अकाली दल का एक अपना रसूख है। अगर पार्टी उपचुनाव हारती है तो शायद दिसंबर में आपको एक नया पंजाब प्रधान देखने को मिले।
अगर पार्टी हाईकमान यह कहती है कि दो बार हारने वाले को पार्टी टिकट नहीं देती है यह फार्मूला अन्य दो बार हारे हुए मंत्रियों पर भी लागू होगा और अगले विधानसभा चुनाव में टिकट हासिल करना उनके लिए टेढ़ी खीर होगा। अब देखिए कि ऊंट किस करवट बैठता है उपचुनाव के नतीजों पर इन दोनों दिगगजों की भविष्य की अगली राजनीति तय होगी। अगर ताजा हालात का सर्वेक्षण किया जाए तो फिलहाल मुकेरियां में स्व. बब्बी की पत्नी इंदु कौंडल और फगवाड़ा में धालीवाल का पलड़ा भारी लगता है।