मथुरा के जवाहर बाग़ में बीच बीते हफ़्ते हुए संघर्ष में मारे गए 19 कब्ज़ाधारियों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि इनमें से किसी को पुलिस की एक भी गोली नहीं लगी है.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ कुल 23 कब्ज़ाधारियों के शव मिले थे जिनमें से 19 का पोस्टमॉर्टम मथुरा में और बाक़ी का आगरा में किया गया.मथुरा के नवनियुक्त एसएसपी बबलू कुमार ने बीबीसी से कहा कि 12 लोगों की रिपोर्ट में जलने से मौत की बात सामने आई है जबकि सात की भगदड़ और चोटों से मौत हुई है, लेकिन गोली किसी को नहीं लगी है.उन्होंने कहा कि रिपोर्ट का अभी और अध्ययन किया जा रहा है ताकि अन्य पहलुओं की भी जानकारी हो सके.
इससे पहले मथुरा के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. विवेक मिश्र भी बीबीसी से इस बात की पुष्टि कर चुके थे.इस रिपोर्ट के बाद अब ये संदेह और गहराता जा रहा है कि क्या सच में प्रशासन बिना किसी तैयारी और तालमेल के जवाहर बाग़ को खाली कराने चला गया था.ये सवाल शुरू से उठ रहे हैं कि अधिकारियों ने क़ब्ज़ाधारियों की ओर से पथराव, आगज़नी और गोलीबारी के बावजूद सही समय पर पुलिस कर्मियों को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश नहीं दिया और इसी के चलते उसे अपने दो अधिकारियों को खोना पड़ा.हिंसा से ठीक तरीके से न निपट सकने के कारण मथुरा के डीएम और एसएसपी का राज्य सरकार ने कल ही तबादला कर दिया था लेकिन राजनीतिक दल सरकार की अक्षमता पर लगातार हमला बोल रहे हैं.भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को फिर राज्य सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इससे ज़्यादा संवेदनहीन सरकार तो कोई हो ही नहीं सकती.लखनऊ में पत्रकार वार्ता में अमित शाह ने कहा कि घटना के मूल में ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा था और इस तरह के कब्ज़े राज्य में हर जगह मौजूद हैं.
उन्होंने बताया कि भाजपा बुधवार से राज्य भर में अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए अभियान छेड़ेगी.इस बीच राज्य सरकार ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए हैं. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इम्तियाज़ मुर्तजा इसकी जांच करेंगे.हालांकि भाजपा और बसपा इस घटना की लगातार सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे लेकिन सरकार ने इसे नामंज़ूर कर दिया.