क्यों AAP के 21 विधायकों की सदस्यता हो सकती है रद्द, जानें क्या है पूरा मामला?

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    नयी दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों की सदस्यता पर सवालिया निशान लगा दिया है। माना जा रहा है कि इन 21 विधायको की विधायकी वापस ली जा सकती है या यूं कहें कि इन 21 सीटों पर फिर से चुनाव हो सकते हैं। आइए आपको समझाए क्या है पूरा मामला और क्यों लटकी है 21 आप विधायको पर तलवार?

    क्या है मामला?
    राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के पद के दायरे से बाहर रखने से संबंधित दिल्ली सरकार के विधेयक को खारिज कर दिया है। जिसके बाद इन विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक गई है। जिसके बाद अब चुनाव आयोग ने भी नोटिस जारी कर दी है।
    आम आदमी पार्टी की सरकार ने नया रिकॉर्ड बनाते हुए 1 के बजाए 21 विधायकों को संसदीय सचिव का पद सौपा था। मार्च 2015 में नोटिफिकेशन जारी कर इन 21 विधायकों को संसदीय सचिव का पद सौंपा गया था। आप ने कहा था कि इन सदस्यों को किसी भी प्रकार की सुविधा नहीं दी जाएगी, लेकिन जून में आप सरकार ने संसदीय सचिव के पद को लाभ के दायरे से बाहर रखने का बिल पारित किया और इसे राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेज दिया। मकसद था कि अगर भविष्य में इन्हें इनकी जिम्मेदारी पूरी करने के लिए
    खतरे में सदस्यता
    इस बिल को पास कराने के पीछे आप सरकार का मकसद था संसदीय सदस्यों को लाभ पहुंचाना। जिसके बाद चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी को नोटिस जारी कर पूछा कि आखिर इन विधायकों की सदस्यता क्यों नहीं खत्म कर दी जाए? इसके साथ ही राष्ट्रपति ने भी यह बिल नामंजूर कर दिया। ऐसे में अपने विधायकों को लाभ पहुंचाने का आम आदमी पार्टी का उद्देश्य पूरा होता नहीं दिख रहा है।
    आगे क्या?

    अब राष्ट्रपति चुनाव आयोग की सलाह से धारा 192 के तहत विधायकों की सदस्यता रद्द कर सकते हैं। अगर ऐसा हुआ और आप के 21 विधायकों की सदस्यता रद्द हो गई तो इन 21 सीटों पर फिर से चुनाव होंगे। हलांकि इस से आप सरकार को कोई खतरा नहीं हैं, क्योंकि उस के पास बहुमत के आंकड़े होंगे। लेकिन ये मौका होगा भाजपा और कांग्रेस के लिए। माना जा रहा है कि आप सरकार से निराश लोग भाजपा और कांग्रेस की झोली में सीटें डाल सकते हैं। फिलहाल भाजपा के पास 3 और कांग्रेस के पास कोई सीट नहीं है।

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