मुंबई. ‘उड़ता पंजाब’ के सीन काटने पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया। कोर्ट ने 13 कट्स में से सिर्फ एक ही कट को सही माना है। वहीं, 3 डिस्क्लेमर देने को कहा है। बता दें कि बोर्ड ने रविवार को 13 कट और कुछ गंदे शब्दों को हटाकर ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया था। इसके पहले सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि – “बोर्ड में ‘सेंसर’ वर्ड का जिक्र नहीं है। बोर्ड को भारत के संविधान और सुप्रीम कोर्ट के डायरेक्शन के तहत ही अपने पावर का इस्तेमाल करना चाहिए।
और क्या कहा कोर्ट ने…
– बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को कहा- “हमने यह देखने के लिए फिल्म की पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी है कि कहीं ड्रग्स को एनकरेज तो नहीं किया गया। ”
– “हमें यह नहीं मिला कि फिल्म में शहरों के नामों के जरिए भारत की सॉवर्निटी या इंटीग्रिटी पर पर सवाल खड़े किए हैं।” बता दें कि सेंसर बोर्ड ने फिल्म में आठ शहरों के साइनबोर्ड पर आपत्ति जताते हुए फिल्ममेकर्स से इन्हें हटाने के लिए कहा था।
– “जब तक क्रिएटिविटी फ्रीडम का दुरुपयोग न हो, किसी को दखल नहीं देना चाहिए।”
मैंने अपना काम कर दिया, अब कोर्ट जाने
– बोर्ड के चेयरमैन निहलानी ने रविवार को भोपाल में कहा – “5डी सेक्शन-18 के हिसाब से स्टेट के नाम निकालने पड़ते हैं।”
– “मैंने कभी नहीं कहा कि मैं पीएम का चमचा हूं। मैंने देश के पीएम की बात की, किसी स्पेशल शख्स की नहीं। मैं भी एक सिटिजन हूं, जो पीएम की रिस्पेक्ट करता है।”
– “मैंने अपना काम कर दिया है, अब कोर्ट और डायरेक्टर जाने।”
– “मैंने 50 साल सिनेमा को दिए हैं। मैंने कुर्सी मांगी नहीं थी। यदि मैं योग्य नहीं हूं तो बेशक मुझे हटा दें।”
– “मेरे कार्यकाल में बोर्ड ने 3500 फिल्में पास की हैं। इनमें से 72% फिल्में बिना कट के पास हुईं।”
– बता दें कि सेंसर बोर्ड के चीफ पहलाज निहलानी ने इस फिल्म में शुरुआत में 94 कट लगाने को कहा था।
– इसके खिलाफ फिल्ममेकर्स की अपील के बाद हाईकोर्ट ने इसका कारण बताने को कहा है।
– इसकी सुनवाई शुक्रवार को भी हुई। उधर, इस मामले में ट्रिब्यूनल 17 जून को सुनवाई करेगा।
इसके पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने क्या कहा था?
– ‘उड़ता पंजाब’ कॉन्ट्रोवर्सी पर शुक्रवार को भी बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी।
– सुनवाई के दौरान बोर्ड के वकील ने तर्क दिया था कि फिल्म में कई गालियों का इस्तेमाल किया गया।
– इस पर जज ने कहा- ”आप इतना परेशान क्यों हैं, कोई फिल्म शब्दों से नहीं, उसकी कहानी से चलती है। आपका काम फिल्मों को सर्टिफिकेट देने का है, उन्हें सेंसर करने का नहीं।”
– “कोई फिल्म इस तरह के शब्दों से नहीं चलती। उसमें अच्छी स्टोरी होनी चाहिए।”
– “आप इतने परेशान क्यों हैं? मल्टीप्लेक्स में मूवी देखने जाने वाली ऑडियन्स काफी मेच्योर है।”
– “चाहे टीवी हो या सिनेमा, लोगों को उसे देखने दीजिए और सभी के पास अपनी च्वाइस होनी चाहिए।”
– “आपका काम सर्टिफाई करना है, सेंसर करना नहीं।”
फिल्म पर विवाद क्यों?
– आशंका जताई जा रही है कि इस फिल्म का असर 2017 के पंजाब असेंबली इलेक्शन पर हो सकता है।
– कई पार्टियां ड्रग्स को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। दरअसल, फिल्म के क्लाइमेक्स में एक लोकल नेता चुनाव जीतने के लिए अपने मेनिफेस्टो के साथ ड्रग्स के पैकेट बांटता है।
– ड्रग्स को किस तरह दो-तीन प्रोडक्ट्स के साथ मिलाकर बनाते हैं और फैक्ट्री में यह कैसे बनती है, इसकी पूरी डिटेल फिल्म में है। यह भी बताया गया है कि किस तरह से ड्रग फैक्ट्रियां ऑपरेट हो रही हैं।
– फिल्म में शाहिद कपूर ड्रग एडिक्ट पॉप सिंगर बने हैं और अपने गानों में ड्रग्स के बारे में बताते हैं।
– फिल्म में आलिया भट्ट भी ड्रग एडिक्ट के कैरेक्टर में हैं।